श्रृंगारिका

कहदो जो एक बार तुम बस पलके झुकाकर, तुम्हारी जुल्फों की छांव में एक पल बिता सकूँ; खामोश हो लब्ज, नजरें बयाँ करे, के तुम्हारी आँखों मे डूबकर मिलेगा सुकून..! के मेरी उँगलियाँ ले नाप तुम्हारे गालों पर, चढ़ती हुई उस लाली का; के मेरे सब्र का फल वही है, Read more…