खराब मौसम के चलते जहाज का उड़ान भरना मुश्किल लग रहा था. तिवारी साहब ने रास्ते से जाने का फैसला लिया.

तिवारी साहब केंद्रीय गृह मंत्रालय के मुख्य सचिव थे. देश की अंदरूनी सुरक्षा की और कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी का बड़ा बोझ वो बखूबी निभाना जानते थे. देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैस्वाल जी के काफी करीबी दोस्त माने जाते थे. आज उन्हें एक बेहद जरूरी सिलसिले के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मिलना था. दिल्ली से अपनी चार्टर्ड फ्लाइट से निकलकर दो घंटे में आने का नियोजन असफल रहा, बाकायदा अभी दस घंटे में पहुंचना था. बारिश के कारण वो भी असंभव सा लग रहा था.

यूपी के गृह मंत्रालयसे बात करके लखनऊ से मुम्बई चार्टर्ड फ्लाइट का इंतजाम कराया गया. रात के साढेआठ बजे तिवारी साहब दिल्ली से लखनऊ गाड़ी से रवाना हुए.

लखनऊ में उस रात अचानकसे हिन्दू-मुस्लिम दंगे भड़क गए. कुछ कारनामों की बू आने लगी. यूपी राज्य के गृहमंत्री ने तिवारी जी को आश्वासन दिया कि वो अपने लेवल पे सब संभाल लेंगे और तिवारी साहब निश्चिंत होकर मुम्बई के लिए रवाना हो दिए.

पहुंचते ही उन्होंने मुख्यमंत्री जी से उनके घर जाकर बात की वो भी सुबह छह बजे. तिवारी जी ने उनको बताया कि महाराष्ट्र में सरकार गिरने वाली है. सत्तापक्ष के कईं विधायक विपक्ष, जो कि केंद्र में सत्तापक्ष था, उनके सीधे संपर्क में थे. अब क्योंकि महाराष्ट्र में गठजोड़ की सरकार थी तो मुख्यमंत्री जी परेशान तो हुए. उन्होंने तिवारी जी से पूछा कि आप हमपे इतने मेहरबान क्यों हो रहे हो. तिवारी जी ने सरलता से जवाब दिया, “पाटील सर मी मराठी आहे. माझ्या कारकिर्दीत सोळा वर्षात सहा मुख्यमंत्री पाहिलेत मी, पण सत्तेत असताना किंगमेकर आणि नसताना सत्ताधाऱ्यांचा कर्दनकाळ अशी आपल्या वडिलांची ख्याती होती. सरकार पडण्यापासून तर वाचवणारच आणि मोबदला घ्यायला सुद्धा येणारच. सध्या राज्याचे गृहमंत्री आहेत त्यांना राहुद्या काही काळ, माझ्यासारखा अनुभवी माणूस तुम्हाला येत्या काळात गरजेचा आहे. गृहमंत्रीपद हा आमचा मोबदला.”

ठीक वैसा ही हुआ. महाराष्ट्र के सत्तापक्ष के कुल 58 विधायक केंद्रीय सत्तापक्ष के हाथ लग गए. सरकार अल्पमत में आ गई. अब मुख्यमंत्री पाटिल का पूरा भरोसा तिवारी साहब के ऊपर था. तिवारी साहब उन सारे विधायकों को वापस भेजने का प्रबंध करनेवाले थे. तिवारी साहब ने बड़ा धोखा दे दिया. सरकार गिर गई और राष्ट्रपति शासन शुरू हो गया. केन्द्रिय सत्तापक्ष सत्ता स्थापना की कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहा था. बहरहाल उनका यही खामोश संयम महाराष्ट्र सत्तापक्ष के भागीदार जाधव साहब का सिरदर्द बन गया. राष्ट्रपति शासन के चलते उनके आनेवाले मनसूबो पर पानी फिर गया था. 15 दिन ऐसेही गए.

सोलहवे दिन अचानक खबर आई. IB के राडार पर रहनेवाली तमाम संस्थाएं देशभर में बंद कराने के सरकारी ऐलान हुए. पुणे का रहीम कला मंच भी इसमें शामिल था. IB के मुताबिक ये सारी संस्थाएं समाजसेवा की आड़ में देश के दुश्मनों के हाथ मजबूत किया करती थी. भारत के अंदर बहुत बड़े गृहयुद्ध की तैयारी में लगी हुई थी. रहीम कला मंच के सबसे बड़े कथित कलाकार एवं कथित समाजसेवी चंदू केशव को गिरफ्तार किया गया. जाधव साहब की चिंताएं और बढ़ी. ये वहीं चंदू केशव था जो समाजसेवा की आड़ में जाधव साहब का अप्रत्यक्ष रूप से प्रचार भी करता था जिसके बदले उसे बहुत सारा काला पैसा मिलता था. चंदू केशव पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लग गया. अगर कड़ी खुलती तो यही कानून जाधव साहब पर भी लगनेकी आशंका थी.

उस शाम जाधव साहब को फोन आया, केंद्रीय सत्तापक्ष एवं राज्य विपक्ष के एक युवा नेता, देशपांडे साहब, जो पिछली सरकार के गृहमंत्री रह चुके थे उनका.

“जाधव साहेब अपरिपक्व नेत्यांसोबत सत्तास्थापणेचा हाच एक तोटा असतो, माघारी अशी एखादी चूक करू शकतात ज्याची भरपाई करणं जड होऊन बसतं. साहेब अजून पण संधी आहे, ज्यांना कुत्रे समजून प्रचाराला ठेवलात ते लांडगे आहेत, एक दिवस तुमच्याही बकऱ्या खायला कमी करणार नाही. आमच्या हवाली करा त्यांना आणि केंद्रात मंत्रिपद घेऊन राज्यात आमच्यासोबत या. तुमच्यावर फार कमी वेळा विश्वास टाकला जाऊ शकतो. नाहीतर मला पर्वा नाही साहेब राष्ट्रपती राजवटीत सुख आहे उलट. येनकेनप्रकारेण आमचंच सरकार आहे.”

उन 58 विधायकों में से एक की हत्या की गई उसी दिन, दिनदहाड़े.

IB ने गृहमंत्रालय को संदेश भेजा, “उनकी ताकद को रोकना अभीभी नामुमकिन लग रहा है. केशव की गिरफ्तारी से उनके सर पर खून सवार हो गया है. मंत्री जी का व्यक्तिगत रूप से देखना जरूरी है.”

To be continued…..

Warm Regards,

Dnyanesh Make “The DPM”


2 Comments

Puneet sinha · 22 October 2020 at 4:26 pm

Nice story kya iska second part bhi hai.
Maine abhi abhi ek new account khola hai.the pickle story Hindi story padne ke liye aap wha bhi ja sakte hai .pls agar ho sake to like aur comment bhi or dena.

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