कहदो जो एक बार तुम बस पलके झुकाकर,
तुम्हारी जुल्फों की छांव में एक पल बिता सकूँ;
खामोश हो लब्ज, नजरें बयाँ करे,
के तुम्हारी आँखों मे डूबकर मिलेगा सुकून..!
के मेरी उँगलियाँ ले नाप तुम्हारे गालों पर,
चढ़ती हुई उस लाली का;
के मेरे सब्र का फल वही है,
तेरे हुस्न की डाली का..!
न हो तब ऐतराज जब हाथ हमारे उलझ जाएं,
आंखों में छलकते एहसास इश्क के, बिन बोले ही समझ जाएं;
सनम अब हम पनाह में है, तुम भी हो पनाह में,
क्या कहें, क्या माहौल बना है मिलन की इस राह में..!
पल एक देखो आंखों में, नशा है खो जाने में,
जिंदगी खफा होती अगर देर करते आने में;
जो बिलख जाएं होठ तुम्हारे तो होश मुझे भी खोना है,
बेखुदी में होता जाए जो भी कुछ होना है!
– Warm Regards
Dnyanesh Make “The DPM”
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