Poems
हां मैं भी हूँ और मेरा अस्तित्व भी है..!
सालों साल सबसे अलग और अकेला रहता आया हूँ
दोस्तियाँ और मोहब्बतें बस दूर से देखता आया हूँ
अकेले ही अकेले चलते चलते गिरते संभलते बढ़ रहा हूँ
जो आज जमाना कैद हुआ तो धाएँ धाएँ रो रहा है
लगता है तन्हाइयों का मैंने पाया स्वामित्व है
हां मैं भी हूँ और मेरा अस्तित्व है!
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