सालों साल सबसे अलग और अकेला रहता आया हूँ
दोस्तियाँ और मोहब्बतें बस दूर से देखता आया हूँ
अकेले ही अकेले चलते चलते गिरते संभलते बढ़ रहा हूँ
जो आज जमाना कैद हुआ तो धाएँ धाएँ रो रहा है
लगता है तन्हाइयों का मैंने पाया स्वामित्व है
हां मैं भी हूँ और मेरा अस्तित्व है!
हां मैंने भी आशिकी दीवानगी के दौर देखे
हां मैंने भी बेवफाओं और मतलबियों के तौर देखे
दुनियाभर के नुक्स सारे जब मैंने अपने भी अंदर पाए
जान गया शिद्दतों मोहोब्बतों के सारे झूठे साये
के बस चाहत और मतलब की गलियों में उलझा सर्वस्व है
हां मैं भी हूँ और मेरा अस्तित्व है..!
आना कभी इस ओर तब सनातन सत्य जानोगे
मेरी नहीं तुम खुद अपनी जानी मानोगे
जो चलाये सारा ब्रम्हांड उस की आगोश में जाना है
इंतकाल के बाद कब्र की जमीन भी न पाना है
जो खुदके होने की वजह ढूंढोगे उसी में छिपा ये सत्व है
हां मैं भी हूँ और मेरा अस्तित्व भी है..!!
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